परिचय                                                                                                                                       


एटा के एक छोटे से गांव से निकलकर पहले मायानगरी और फिर राजनीति के पर्दे पर अपनी मजबूत दस्तक देने वाले राकेश राजपूत की कहानी बेहद ही दिलचस्प है। स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के परिवार से ताल्लुक रखने वाले राकेश का बचपन से ही सपना था कि देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरें। रास्ता बेहद ही मुश्किल था मगर राकेश राजपूत के हौसले की दाद देनी होगी कि वो इस रास्ते पर डटे रहे। जब गांव के बच्चे उछल कूद और खेलकूद में वक्त बिता रहे होते थे, 8 साल के छोटे राकेश राजपूत की भुजाएं पहलवानी के अखाड़े में फड़क रही होती थीं। राकेश के पिता केसी सिंह राजपूत एटा के नामी पहलवान थे। पहलवानी उन्हें विरासत में मिली थी। अभिनय उनके सपनों में समाया था। बचपन और जवानी की दहलीज के बीच ही राकेश के भीतर अभिनय का कीड़ा धर कर गया था। गांव की रामलीलाओं मे बाली का किरदार उनके नाम रिजर्व हो चुका था। राकेश बाली के किरदार में मशहूर होने लगे थे। मगर हर बाप की तरह उनका भी सपना था कि बेटा ऊंची पढ़ाई करे और बड़ा सरकारी अफसर बने। राकेश की अखाड़े में लगन ने उनका भविष्य शीशे की तरह साफ कर दिया। एटा का ये सीधा साधा लड़का ऊंचे ऊंचे सपने पाले एक दिन दिल्ली आ पहुंचा। 12 साल की उम्र से ही राकेश मशहूर पहलवान चन्दगीराम के अखाड़े में पसीना बहाने लगे। अब तक पहलवानी और बॉडी बिल्डिंग राकेश राजपूत के खून से होती हुई जेहन में समा चुकी थी।  
          ये साल 1995 था। दिल्ली में मिस्टर दिल्ली कंपटीशन का शोर था। ये प्रतिष्ठित रूतबा हासिल करने की खातिर चाहने वालों की भीड़ लगी हुई थी। एक से बढ़कर एक बॉडी बिल्डर और मंहगे ट्रेनिंग संस्थानों से निकलकर आए जाबाज वहां मौजूद थे। प्रतियोगिता शुरू हुई और कुछ ही देर में वहां मौजूद लोगों ने दांतो तले उंगली दबा ली। एक ऐसा लड़का जिसकी न तो कोई जान पहचान थी, और नहीं इससे पहले दिल्ली में इस क्षेत्र में किसी ने उसका नाम ही सुना था, सब पर भारी पड़ता जा रहा था। एटा के राकेश राजपूत ने अपने शरीर सौष्ठव से निर्णायकों समेत दर्शकों को भी अपना मुरीद बना लिया। बेहद की कड़े मुकाबले को जीतकर राकेश ने मिस्टर दिल्ली का बेहद की गौरवपूर्ण खिताब अपने नाम कर लिया। कहते हैं कि सपने एक ही रात में रंग लाते हैं। राकेश के लिए ये रात बेहद ही खास थी। इसने उन्हें अपने सपनों को हासिल करने का एक बेहद ही बड़ा और मजबूत प्लेटफार्म दे दिया था। एटा का एक आम सा लड़का अब दिल्ली की शोहरत भरी गलियों का बाशिंदा बन चुका था। राकेश ने इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन का गोल्ड मेडल भी अपने नाम कर लिया। देखते ही देखते इस शोहरत की धमक बॉलीवुड तक जा पहुंची। बॉलीबुड से जो पहला न्योता मिला, वो उनकी शानदार बॉडी बिल्डिंग के सर्टिफिकेट सरीखा था। राकेश को फिल्म अर्जुन पंडित में सनी देओल के साथ काम करने का मौका मिला। किरदार कुछ इस तरह था कि सनी देओल की कद काठी और मजबूत शरीर की बराबरी करने वाला कोई अभिनेता ही उसे निभा सकता था। राकेश इस क्राइटेरिया पर एकदम खरे उतरे। अर्जुन पंडित आई और बॉलीवुड को इस बात का अहसास करा गई कि मजबूत कदकाठी और अभिनय वाला एक शख्स उनके बीच दाखिल हो चुका है। राकेश और सनी देओल की जोड़ी इस मायनों में हिट हो चुकी थी कि दोनो ही एक दूसरे के शरीर सौष्ठव की बराबरी करते नजर आते थे। इसी का नतीजा था कि सनी की आगे की कई फिल्मों में राकेश ही उनकी पसंद बने। चाहे वो बिग ब्रदर हो या फिर मां तुझे सलाम, राकेश ने साबित कर दिया कि एटा की जमीन के इस सितारें में इतना दम है कि बॉलीवुड बार बार उन्हें सलाम करेगा और करता रहेगा। राकेश ने फर्ज, किस्मत, जल्लाद नंबर वन सरीखी कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। राकेश ने बच्चों के बीच खासे मशहूर धारावाहिक शक्तिमान में अभिनय किया है और साथ ही एमटीवी के मशहूर कार्यक्रम फिल्मी फंडा की एंकरिंग भी की है।  
            फिल्मों में तमाम व्यस्तताओं के बावजूद राकेश का हेल्थ खासकर बॉडी बिल्डिंग से नाता कम नहीं हुआ। अपने सरीखी और भी कई गुमनाम प्रतिभाओं को आगे लाने की खातिर राकेश लगे हुए हैं। राकेश राजपूत की इस क्षेत्र में जिम्मेदारी इसी बात से समझी जा सकती है कि वे ऑल इंडिया हेल्थ क्लब आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष और इंडियन बॉडी बिल्डिंग फेडरेशन के वाइस प्रेसीडेंट हैं। उनकी लगातार कोशिश है कि बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में उनके जैसे आम नौजवान अपना नाम पैदा कर सकें। जो सुविधाएं उन्हें नहीं नसीब हुईं, वे दूसरे साधारण नौजवानों को जरूर नसीब हों। राकेश दिन रात इसी कोशिशों में जुटे हुए हैं। फिल्मी दुनिया से भी उनका जुड़ाव लगातार कायम है। वे सिने एंड टीवी आर्टिंस्ट एसोसिएशन के सदस्य हैं। एक मशहूर शायर ने कहा है कि सितारों के आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इंतिहा और भी हैं। राकेश राजपूत पर ये बात अक्षरश: लागू होती है। राकेश ने जीवन में बढ़ते रहना ही सीखा है। अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा का जज्बा उन्हें राजनीति में खींच ले आया। राकेश 1992 में ही कांग्रेस के प्राथमिक सक्रिय सदस्य बन गए। काम के प्रति उनका जज्बा और उनकी ईमानदारी यहां भी रंग लाई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन ऑस्कर फर्नाडीज की उन पर निगाह जम गई। ऑस्कर साहब किसी ऐसे नौजवान की तलाश में थे जो पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाने का काम कर सके। एक ऐसा नौजवान जिसके लिए देश पहले हो, परिवार और वो खुद बाद में। राकेश के जज्बे ने जल्दी ही उनकी राह आसान कर दी। थोड़े ही समय में एटा का ये आम सा नौजवान पांच केंद्रीय मंत्रालयों में अहम जिम्मेदारियां निभा चुका है। 
            राकेश सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्यवयन, यूथ एंड स्पोर्टस, ओवरसीज अफेयर्स मिनिस्ट्री और लेबर मिनिस्ट्री में पर्सनल असिस्टेंट के तौर पर काम कर चुके हैं और फिलहाल वे मिनिस्ट्री और कम्युनिकेशन और आईटी में अपने सेवाएं दे रहे हैं। राकेश उड़ीसा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड इन तीन राज्यों में कांग्रेस की ओर से ऑब्जर्वर की अहम जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं।  
          अपने क्षेत्र एटा के लिए राकेश का दिल हमेशा धड़कता रहता है। स्वर्गीय राजीव गांधी के जन्मदिन के मौके पर राकेश असहायों को कंबल बांटते रहे हैं। ब्लड डोनेशन का कैंप राकेश लगातार आयोजित करते रहते हैं। लोधी राजपूत समुदाय की ओर से राकेश महारानी अवंती बाई लोधी का शहीदी दिवस कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं। महारानी अवंती बाई लोधी ने 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजी राज के दांत खट्टे कर दिए थे। इस कार्यक्रम में कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ऑस्कर फर्नाडिस     समेत कई जानी मानी राजनीतिक और फिल्मी हस्तियों ने शिरकत की। राकेश राजपूत शायद देश की इकलौती ऐसी शख्सियत होंगे जो कई मशहूर फिल्मी सितारों समेत कई राजनेताओं और कैबिनेट मंत्रियों के फिटनेस सेकेट्री रह चुके हैं। फिल्मी हस्तियों में संजय दत्त, शाहिद कपूर, मनोज वाजपेयी, सोनू सूद, अरबाज खान, साहिल खान, सुदेश बेरी, इमरान खान जैसे नाम हैं तो राजनीतिक नामों में ऑस्कर फर्नाडिस, गुरूदास कामत, प्रफुल्ल पटेल, रामचंद्र खूंटिया सरीखे कई नामी लोग शामिल हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी राकेश का इरादा देश और समाज की खातिर कुछ कर गुजरने का है, जिसकी शुरूआत वे अपने क्षेत्र एटा से कर चुके हैं।  
                इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि मिलना इस प्रतिस्पर्धा के युग में कोई हंसी खेल नहीं है.यह आज के युवाओं के लिए प्रेरणा दायक है.श्री राकेश राजपूत के इसी जज्बे से प्रभावित होकर एवं उनकी सहमत्ति लेकर इस ब्लॉग के माध्यम से एटा के जनमानस से यह गुजारिश करना चाहता हूँ कि "एटा" के अपने इस "लाल" को अपना पूर्ण प्यार एवं सहयोग प्रदान करें जिसका कि वह हक़दार भी है. ताकि एटा कि धरती का नाम देश ही नहीं पूरी दुनिया में चमके |
                मैं इस ब्लॉग के माध्यम से समय-समय पर आपको " राकेश राजपूत"  के सामाजिक,राजनैतिक आदि गतिविधियों से रु-ब-रु करवाता रहूँगा.
                 इसी विश्वास के साथ
                                                                                                             





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